सतर्कता : हमारी सामूहिक जिम्मेदारी

 

सतर्कता : हमारी सामूहिक जिम्मेदारी

( Vigilance: Our Shared Responsibility )

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, माननीय शिक्षकों और मेरे प्यारे साथियों,
आप सभी को मेरा नमस्कार।

आज मैं आपके सामने “सतर्कता : हमारी सामूहिक जिम्मेदारी” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करने जा रही/रहा हूँ।

सतर्कता का अर्थ है — चौकस रहना, सावधान रहना और अपने आस–पास हो रही घटनाओं के प्रति जागरूक रहना।
यदि हम सतर्क रहेंगे, तो हम न केवल अपने आपको बल्कि अपने समाज और देश को भी गलत कामों, भ्रष्टाचार और अपराधों से बचा सकते हैं।

सतर्क रहना केवल सरकार, पुलिस या अधिकारियों का काम नहीं है। यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है। अगर हम सभी ईमानदार और जागरूक बनें, तो समाज में बहुत-सी बुराइयाँ अपने आप खत्म हो जाएँगी।

हम अपने घर में सतर्क रह सकते हैं — जैसे बिजली-पानी की बचत करना, ईमानदारी से काम करना।
विद्यालय में सतर्क रहना मतलब नियमों का पालन करना, नकल न करना, और किसी गलत काम को देखकर चुप न रहना।
समाज में सतर्क रहना मतलब भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी या अन्याय का विरोध करना।

भारत सरकार हर साल सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाती है, ताकि लोगों में ईमानदारी और निष्ठा की भावना बढ़े। इस सप्ताह हम सब यह संकल्प लेते हैं कि हम अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी और साहस के साथ करेंगे।

सतर्क नागरिक के रूप में हमें यह भी जानना चाहिए कि जरूरत पड़ने पर हम किससे मदद ले सकते हैं।
महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर हैं —

  • 112 : आपातकालीन सहायता (पुलिस, फायर, एम्बुलेंस)

  • 1098 : बाल सहायता (बच्चों की सुरक्षा के लिए)

  • 1091 : महिला सहायता हेल्पलाइन

  • 1064 : भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन

अंत में, मैं यही कहना चाहूँगा/चाहूँगी कि —
सतर्कता केवल एक आदत नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है।
अगर हम सब सतर्क, ईमानदार और जिम्मेदार बनें, तो हमारा देश निश्चित ही सुरक्षित और समृद्ध बनेगा।

धन्यवाद!

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